Madhu varma

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लेखनी कविता - कारे कारे सबसे बुरे ओधव प्यारे -मीरां

कारे कारे सबसे बुरे ओधव प्यारे -मीरां 


कारे कारे सबसे बुरे ओधव प्यारे॥ध्रु०॥
 कारेको विश्वास न कीजे अतिसे भूल परे॥१॥
 काली जात कुजात कहीजे। ताके संग उजरे॥२॥
 श्याम रूप कियो भ्रमरो। फुलकी बास भरे॥३॥
 मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। कारे संग बगरे॥४॥

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